by Ganesh_Kandpal
April 17, 2025, 8:59 p.m.
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डीएसबी परिसर में मलेरिया पर व्याख्यान, डॉ. कैलाश सी. पांडेय ने साझा की वैक्सीन अनुसंधान की नई जानकारियाँ
नैनीताल, 17 अप्रैल। डीएसबी परिसर के आर्ट्स ऑडिटोरियम में बुधवार को मलेरिया निदान और वैक्सीन अनुसंधान में हो रही प्रगति पर एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक व्याख्यान आयोजित किया गया। यह व्याख्यान आईसीएमआर-एनआईएमआर (राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली) के वैज्ञानिक-एफ डॉ. कैलाश सी. पांडेय द्वारा प्रस्तुत किया गया, जो जीवविज्ञान और प्रतिरक्षा विज्ञान के क्षेत्र में देश के प्रमुख विशेषज्ञों में से एक हैं।
डॉ. पांडेय ने बताया कि मलेरिया आज भी एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है। उन्होंने कहा कि विश्व के 83 देशों में प्रतिवर्ष लगभग 263 मिलियन मलेरिया के मामले सामने आते हैं, जिनमें से 94 प्रतिशत मामले और 95 प्रतिशत मौतें अफ्रीकी क्षेत्र में होती हैं।
अपने व्याख्यान में उन्होंने मलेरिया वैक्सीन के विकास पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने डब्ल्यूएचओ द्वारा स्वीकृत पहली मलेरिया वैक्सीन RTS,S/AS01 (मॉस्क्वीरिक्स) के विकास, कार्यप्रणाली और सीमाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रतिजैविक (एंटीजनिक) परिवर्तन, प्रतिरक्षा से बचने की प्रक्रियाएं और वेक्टर-मेज़बान-परजीवी के बीच की जटिल पारस्परिक क्रियाएं वैक्सीन की प्रभावकारिता को प्रभावित करती हैं, जो वर्तमान में केवल 30-35% है।
डॉ. पांडेय ने बताया कि “एक्सपोर्टेड प्रोटीन 1” नामक एक विशेष प्रोटीन मलेरिया की पहचान में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यह RDT (रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट) के लक्ष्य बिंदु के बराबर है। उन्होंने बताया कि इस प्रोटीन के विरुद्ध मोनोक्लोनल एंटीबॉडी विकसित की जा रही हैं, जो भविष्य में मलेरिया के इलाज और रोकथाम में प्रभावी साबित हो सकती हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ कुलगीत के साथ दीप प्रज्वलन कर किया गया तथा समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन प्रो. ललित मोहन तिवारी (विजिटिंग प्रोफेसर, वनस्पति विज्ञान विभाग) ने किया। विभागाध्यक्ष प्रो. हरीश बिष्ट ने अतिथियों का स्वागत किया, जबकि संकायाध्यक्ष प्रो. चित्रा पांडे ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
डॉ. कैलाश चंद्र पांडेय, जो उत्तराखंड के बागेश्वर जनपद से ताल्लुक रखते हैं, को इस अवसर पर “शिवाल” उड़ाकर और प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में प्रो. चित्रा पांडे, प्रो. ललित मोहन तिवारी, प्रो. एच.सी.एस. बिष्ट, डॉ. दीपिका गोस्वामी, डॉ. हिमांशु लोहनी, डॉ. कुबेर गिंती, डॉ. उज्मा, डॉ. नवीन पांडे, डॉ. दीपक मलकानी, डॉ. दिव्या पांगती, डॉ. नगमा, डॉ. संदीप मंडोली, डॉ. राशि, डॉ. सीता देवली, डॉ. नेत्रपाल सहित कई प्राध्यापक एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।
शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों में आनंद कुमार, विशाल बिष्ट, लता नितवाल, गौरव प्रसाद, वसुंधरा, प्रिया, दिशा, लक्ष्मी सहित बड़ी संख्या में प्री-पीएचडी, जंतु विज्ञान और वनस्पति विज्ञान विभाग के छात्र-छात्राएं व्याख्यान में सम्मिलित हुए।
यह व्याख्यान विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए अत्यंत उपयोगी एवं प्रेरणादायक सिद्ध हुआ
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